पृथ्वी पर बहुत ही तीर्थ स्थान हैं सब तीर्थों की यात्रा मनुष्य नहीं कर सकता है संपूर्ण नदियों में जाकर मनुष्य स्नान नहीं कर सकता है मगर जहां कीर्तन होता है हरि की कथा होती है, सत्संग होता है वहां संपूर्ण तीर्थ विद्यमान होते हैं इसलिए कहा है अन्न का कण और सत्संग का क्षण कभी नहीं गंवाना चाहिए जहां से मिले, जब मिले, जहां मिले, छोड़ना नहीं चाहिए ।